मेरा प्यार (90)
*मेरा प्यार* ********** लौट आया है, मेरा प्यार..! हाँ हाँ ..... लौट आया है, मेरा प्यार...! नाच उठा है, मन मयूरा... महक उठा है.... रूह का घर द्वार....! हाँ ..... लौट आया है, मेरा प्यार...!!! सदियों पहले ...! खो गया था.... न जाने.... ब्रह्मांड के किस ज़ोन में....! हो गया था गुम कहीं.... शून्य में शून्य बनकर...! तड़प रही थी रूह... अपने प्यार से मिलने को....! बैठी थी नज़रें बिछाए.... एक लंबे अरसे से.... बस उसकी एक झलक पाने को...! और विलीन हो जाने को...! पर आज... लौट आया है, मेरा प्यार..! नाच उठा है, मन मयूरा... महक उठा है.... रूह का घर द्वार....! हाँ..... लौट आया है, मेरा प्यार...!!! सुन...! सुन री सखी ... गुदगुदाने लगी हैं हवाएं.... और... संवरने लगीं हैं बहारें...! कर दिया है चंदन-चंदन... मेरा रोम - रोम ....! देख रहे हैं नजा़रे... सूरज चांद और सितारे... बजने लगे हैं... ढोल, मृदंग और शहनाई...! खिलने लगा है...! दिल की बगिया हर फूल...!!! क्योंकि ...? लौट आया है, मेरा प्यार..! नाच उठा है, मन मयूरा... महक उठा है.... र...