माँ की सीख बचपन में माँ ने एक बात कही थी कि " अति हर चीज की बुरी होती है, चाहे वो कुछ भी हो , दोस्ती हो या प्यार, सर्दी हो या गर्मी , वारिश हो या सूखा " खाने की अति हो या भूखे रहने की मजबूरी, हर चीज की एक सीमा होती है और सीमा के भीतर रहकर जो कार्य किया जाता है वह हमेशा हमें सुख , शान्ति, समृधि , धैर्य व ख़ुशी प्रदान करता है। जब कोई भी चीज सीमा पार कर जाती है अर्थात उसकी अति हो जाती है, तो वो दुःख का कारण बन जाती है। जिससे हमें सिर्फ दर्द , ज़ख्म , ग़म , उदासी, आँसू व मुश्किलें ही हाथ लगती हैं। हमारा जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है । उस वक्त हम चाहकर भी प्रसन्न नहीं रह पाते । अगर हम स्वाद -स्वाद में भूख से ज्यादा कोई चीज खा लेते हैं, तो अक्...