माँ की सीख - ' अति की मीठी एक दिन अति की कड़वी हो जाती है।' Happy Mother's Day 【48】
माँ की सीख
बचपन में माँ ने एक बात कही थी कि "अति हर चीज की बुरी होती है, चाहे वो कुछ भी हो , दोस्ती हो या प्यार, सर्दी हो या गर्मी , वारिश हो या सूखा "
खाने की अति हो या भूखे रहने की मजबूरी, हर चीज की एक सीमा होती है और सीमा के भीतर रहकर जो कार्य किया जाता है वह हमेशा हमें सुख , शान्ति, समृधि , धैर्य व ख़ुशी प्रदान करता है।
जब कोई भी चीज सीमा पार कर जाती है अर्थात उसकी अति हो जाती है, तो वो दुःख का कारण बन जाती है। जिससे हमें सिर्फ दर्द , ज़ख्म , ग़म , उदासी, आँसू व मुश्किलें ही हाथ लगती हैं। हमारा जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है । उस वक्त हम चाहकर भी प्रसन्न नहीं रह पाते ।
अगर हम स्वाद -स्वाद में भूख से ज्यादा कोई चीज खा लेते हैं, तो अक्सर पेट गड़बड़ हो जाता है। वारिश ना होने से सूखा पड़ने लगता है और वारिश अधिक होने से बाढ़ आ जाती है। इसी तरह अधिक गर्मी और अधिक सर्दी भी कभी -कभी खतरे की घण्टी बन जाती है।
दोस्ती , प्यार व रिश्तों में कभी भी किसी पर अन्धा विश्वास नहीं करना चाहिए । विश्वास उसी सीमा तक करना चाहिए । जितना हमारी दोस्ती, प्यार व रिश्तों के लिए आवशयक हो । अन्यथा वो हमें मुश्किलों के दल-दल में ढकेल देता है। ये बात हमारी माँ ने हमारी दोस्ती पर कही थी ।
हमारी एक सहेली थी , हम दोनों की दोस्ती के चर्चे पूरे कॉलेज में थे। माँ को जब पता चला तो माँ ने कहा कि प्यार हो या दोस्ती - 'अति की गहरी एक दिन अति की कड़वी हो जाती है' ।
हमें उस वक्त माँ की ये सीख समझ नहीं आई। लेकिन जब हम उस स्थिति से गुज़रे, तब हमें माँ की सीख का एहसास हुआ । पर हमारी ये भी फ़िदरत है कि प्यार हो या दोस्ती या कोई भी रिश्ता हो । हम उसे पूरी शिददत से निभाते हैं। अपनी तरफ़ से किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ते ।
यदि कोई इंसान हमें चोट पहुँचता है या दिल दुखाता है, तो हम उसे हमारे प्रति अपना व्यवहार और रवैया बदलने के लिए वक़्त देते हैं और कभी भी अपनी तरफ़ से सम्बन्ध नहीं तोड़ते। उसे समझने के लिए समय देते हैं । ऐसा उनके साथ ही होता है जिनके साथ ज्यादा गहरी होती है और ज्यादा गहरी अन्त में कड़वी बन जाती है। जो दिल के करीब ना होकर सिर्फ ज़िन्दगी का एक छोटा सा हिस्सा होते हैं तथा जिनके कारण हमारा दिल अत्यधिक नहीं दुखता ,घायल होकर भी दर्द नहीं होता है, उन्हें एक झटके में खुद की ज़िन्दगी से बाहर कर देते हैं ।
और जो दिल के करीब होते हैं उन्हें हम खोना नहीं चाहते, इस लिए उनके दिल दुखाने पर भी क्षमा कर खुद को छोटा मान उनको मनाने का प्रयास करते हैं। हमारे बार -बार बात करने पर तथा बार -बार प्रयास करने पर जब वो हमसे नज़र चुराते है और बात नहीं करते तो हम भी खुदको समझाकर शान्त हो जाते हैं ।और उस रिश्ते को रब के हवाले कर वही छोड़ आगे बढ़ जाते हैं ।
माँ ने ये बात भी कही थी कि "जब कोई रिश्ता दुःख का कारण बन जाये या आपकी राहों का रोड़ा बन जाये तो उसे एक तरफ खिसका कर आगे बढ़ जाना चाहिए। अगर उसका प्यार या दोस्ती सच्ची है , तो वो आपके पास लौट कर अवश्य आएगा। "
गलतियाँ हर इंसान से होती हैं और जो इंसान अपनी गलती मान लेता है वो रब की नज़र में महान हो जाता है और गलती ना होने पर सिर्फ अपनों की ख़ातिर , अपने प्यार को व अपने रिश्ते को बचाने के लिए, जिसे वो बेपनाह मोहब्ब्त करता है, क्षमा मांग लेता है और खुद छोटा बन कर झुक जाता है वो रब को और अधिक प्रिय हो जाता है।
जब -जब हमारा दिल दुखा, जब -जब हम परेशान दिखाई दिए तब -तब माँ ने यही कहा कि ज़ख्म को वही छोड़ आगे बढ़ जाना चाहिए।
माँ रहते हम इस रहस्य को व इस ज्ञान को नहीं समझ सके। अब आकर उनकी हर बात का मर्म जाना है कि
ये कहावत - ' अति की मीठी एक दिन अति की कड़वी हो जाती है।'
© डॉ० प्रतिभा 'माही'
' अति की मीठी एक दिन अति की कड़वी हो जाती है।'
Comments
Post a Comment