न जाने कहाँ मैं किधर खो गयी 【 62 】
रुबाई कि यादों में तेरी मैं गुम हो गयी। न जाने कहाँ मैं किधर खो गयी।। भला कौन सा लोक है ये प्रिये। जहाँ चैन की नींद मैं सो गयी।। ग़ज़ल तुझे आज पा ख़ुद को मैं खो रही हूँ।। अजी प्रीत के बीज मैं बो रही हूँ।। मिटा खौफ़ सारा कि दिल को सकूँ है। ...