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Showing posts from July, 2022

जलाता आज ये सावन 【66】

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कहाँ हो मीत आ जाओ बुलाता आज ये सावन छुपे हो किस जहाँ में तुम चिढ़ाता आज ये सावन घटाओं से कहा हमने पवन को भी पठाया है फ़िज़ा को बैठ झूले में झुलाता आज ये सावन बरसती बूँद बदरी की बजाती साज सरगम के  सुनाती है मधुर मुरली लुभाता आज ये सावन नज़ारे देख उल्फ़त के नज़र ढूढे सदा तुझको लिखा गीतों में हाल-ए-दिल वो गाता आज ये सावन  कड़कती दामिनी आकर अकेले में डराती है   ‎लगालो कण्ठ से 'माही' जलाता आज ये सावन © डॉ० प्रतिभा 'माही'

तू वही, तू वही, तू वही, तू वही【65】

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तू वही, तू वही, तू वही, तू वही ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी तू वही, तू वही, तू वही, तू वही तू ही दाता तू ही रब है तू ही ख़ुदा मेरी रग रग में बस नाम तेरा छुपा तू इबादत मुहब्बत तू ही बंदगी ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी तू वही, तू वही, तू वही, तू वही देख तूने रचाया है सारा जहाँ खेल हमको खिलाया गज़ब का यहाँ तेरी यादों में अश्कों की गंगा बही ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी तू वही, तू वही, तू वही, तू वही इश्क़ तूने किया मै तो तू हो गयी मै तो मै ना रही तुझमें गुम हो गयी गीत ग़ज़लें कहें, 'माही' दीवानगी ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी तू वही, तू वही, तू वही, तू वही © डॉ० प्रतिभा 'माही'