तू वही, तू वही, तू वही, तू वही【65】
तू वही, तू वही, तू वही, तू वही
ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी
तू वही, तू वही, तू वही, तू वही
तू ही दाता तू ही रब है तू ही ख़ुदा
मेरी रग रग में बस नाम तेरा छुपा
तू इबादत मुहब्बत तू ही बंदगी
ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी
तू वही, तू वही, तू वही, तू वही
देख तूने रचाया है सारा जहाँ
खेल हमको खिलाया गज़ब का यहाँ
तेरी यादों में अश्कों की गंगा बही
ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी
तू वही, तू वही, तू वही, तू वही
इश्क़ तूने किया मै तो तू हो गयी
मै तो मै ना रही तुझमें गुम हो गयी
गीत ग़ज़लें कहें, 'माही' दीवानगी
ज़िन्दगी जिसकी चाहत में मेरी गयी
तू वही, तू वही, तू वही, तू वही
© डॉ० प्रतिभा 'माही'
Comments
Post a Comment