अमूर्त प्रेम का चिंतन-मनन 【67】
सम्पूर्ण प्रकृति प्रेम को समर्पित है, प्रेम ही इस पूरी दुनियां का आधार है। प्रेम के बिना इस दुनियां का कोई अस्तिव नहीं रहेगा। जब दुनिया मे प्रेम की कमी होने लगेगी तो यह आहिस्ता -आहिस्ता तबाही की ओर अग्रसर होने लगेगी। इसलिए सभी से प्रेम करो, ये प्रेम ही आपको सही रास्ता दिखा सकता है क्योंकि प्रेम ही ईश्वर है। मेरी अन्तरात्मा द्वारा अवतरित इस दोहे ने मुझे " प्रेम " विषय पर लिखने के लिए प्रेरित किया -- " गुरु मिला-औ-रब मिला, मिला अनौखा प्यार। मैं तो गद-गद हो गई, स्वप्न हुआ साकार।।" मैंने ख़ुद को पढ़ना शुरू किया, और यह प्रक्रिया कई सालों तक चलती रही, फिर अपने आस-पास नज़र आने वाले प्रत्येक शख़्स से प्रेम से बात करना आरम्भ किया। ऐसा करने से हमें हर तरफ़ प्रेम ही नज़र आने लगा, हम घण्टों अकेले अपने आप म...