एक हसीं मुलाकात-- लघु उपन्यास (68)
"यह (लघु उपन्यास) मेरी काल्पनिक रचना है सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी व रची गयी है। इसमें शामिल किए गए सभी पात्र, पत्रों के नाम, घटना, स्थान,भावनायें, विचार व संवाद सभी काल्पनिक हैं। यदि इसमें किसी पात्र का नाम घटना, स्थान इत्यादि में कोई समानता पाई जाती है तो वह सिर्फ एक संयोग मात्र है। यह पूरी कहानी काल्पनिक है ।" एक हसीं मुलाकात भाग【01】 ( मनीषा गाड़ी से उतर दबे पाँव आगे बढ़ने लगी, मन में अनगिनत ख्याल आ रहै थे। वह दरवाजे के पास पहुँची, यह क्या...? वह घंटी बजाती या दस्तक देती, उससे पहले ही दरवाजा खुला और कानों में एक मधुर आवाज़ सुनाई दी) - प्रतीक : "मनीषा आओ - यह है अपना गरीब खाना।" (मनीषा आगे बढती ह...