वक्त बदलना चाहिए (78)
हिंद राष्ट्र पर लिखती हूं, उसके ही गीत सुनाती हूं। हिन्द है आधार जगत का, सबको यह बतलाती हूं। मैं गीत हिन्द के गाती हूं....!2 *दोहा* हुआ विभाजन देश का, मच गया हाहाकार। बच्चे बूढ़े नर नारि सब, थे बेबस लाचार।। *दोहा* सरहद की वो सर ज़मी , हुई रक्त से लाल। लाखों परिजन देश के , गए काल के गाल।। दोहा पीड़ा का वर्णन नहीं, छूटा सब घर द्वार। अपनों की खातिर लड़े, छोड़ दिया संसार।। *वक्त बदलना चाहिए* करे राज हिंदुत्व हमारा, वक्त बदलना चाहिए। अगर लाल भारत माँ के हो, रक्त उबलना चाहिए।। विजय विश्व की शपत उठाओ, नाज़ करे धरती माता। चले विश्व पर सत्ता अपनी, तख्त पलटना चाहिए।। *दीवानों की टोलियाँ* आज़ादी को चली बचाने दीवानों की टोलियाँ वीरों की माता ने कर दीं अपनी खाली झोलियाँ फौलादी तन देकर जिनको तिलक लहू से कर भेजा देखो यारो खेल रहे वो खून से बैठे होलियाँ