वो जाने या मैं जानूँ ..!
मेरा उसका, क्या रिश्ता है..? वो जाने या मैं जानूँ ..! ना जाने ये दुनिया सारी... ना जान ये लोग...! रूह ने उसको, जान लिया है ... लगा इश्क का रोग...!! मैं जानूँ या वो जाने...!! वो जाने या मैं जानूँ ..!!! मेरा उसका, क्या रिश्ता है..? वो जाने या मैं जानूँ ..! आज समय है संगम युग का , सतयुग में ले जाएगा स्वर्ग के सुंदर महलों का ये राजा हमें बनाएगा स्वर्ग नरक है इसी धरा पर, परमपिता ये कहते हैं पहले भी स्वर्णिम था भारत, फिर स्वर्णिम बन जाएगा मैं खुदा की गोद में रहकर पली खिल गयी सुर साज़ सरगम की कली थाम उंगली वो मेरी चलता रहा छंद मुक्तक गीत ग़ज़लों में ढली Geet जिसका नहीं है कोई , उसका तो बस खुदा है संसार बस ये सारा, विश्वास पर खुदा है तुम लाख चोरी कर लो, लाखों गिरा लो पर्दे क्या आईने में कोई, चेहरा कभी छुपा है जिसका नहीं है कोई , उसका तो बस खुदा है भीड़ में भी मैं अकेली ही रही जिंदगी क्यों कर पहेली ही रही वो तो ऊंचे महल से उठते रहे मैं तो बस खंडहर हवेली ही रही रिश्ते तो सब थे अपने, पर हो गए पराए। ...