गजल : चुन चुन शूल पिरोता क्यूँ है
यहाँ कर्मों की खेती हे, जहर के बीज बोना मत। मिलेगा वो जो बोया है , उसे पाकर तू रोना मत ।। चुन चुन शूल पिरोता क्यों है माथ पकड़ फिर रोता क्यों है व्यसनों में रहता है डूबा जीवन अपना खोता क्यों है अमृत बेला जाए बीती बेच के घोड़े सोता क्यों है घूम रहा है अपने मद में बोझा इतना ढोता क्यों है पूछ रहा है 'माही' तुझसे बीज जहर के बोता क्यों है © Dr Pratibha 'Mahi'