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Showing posts from March, 2021

#Gateway.Of.Heaven भाग- I जीवन को स्वर्ग बनायें --【37】

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Gateway.Of.Heaven आओ योगी बनें रब से बातें कर जीवन स्वर्ग बनायें...!                जीवन को स्वर्ग बनाते हैं, एक इंसान के अच्छे विचार, अच्छी भावना, अच्छे संस्कार, अच्छी सोच, अच्छे कर्म, अच्छी शिक्षा, अच्छे लोग व अच्छे संगी साथी और यह सब एक अच्छी परवरिश से मिलता है। यह परवरिश सभी को अपने माता-पिता से मिलती है तथा माता-पिता को उनके माता-पिता से मिलती है, यह चक्र यूँ ही चलता रहता है।                  अब सवाल उठता है कि जीवन क्या है..? आप सभी जानते हैं कि जो इस दुनिया में इस धरा पर जन्म लेता है, वह मृत्यु को भी प्राप्त होता है। जन्म तो पशु पक्षी भी लेते हैं और मर जाते हैं। किंतु मनुष्य एक अमूल्य प्राणी है, उसे इस धरा पर सभी अन्य जीव-जंतुओं से श्रेष्ठ माना गया है। जन्म से मरण तक के समय को जीवन कहा जाता है।                   जीवन तो सभी जीते हैं, पशु-पक्षी व जीव-जंतु भी जीवन जीते हैं और मर जाते हैं। किंतु मानव कु...

"जादू की झप्पी" बाल साहित्य--- 01)-भूमिका

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                             दिल तो इक बच्चा है                          नटखट दिल...! एक बच्चा ही तो है, जो हर घड़ी हर कदम पर एक मस्त  मन मौजी  चंचल परिन्दे की भाँति स्वच्छन्द खुले आकाश में नए नए ख़्यालों का पुलंदा लिए अपनी लम्बी- लम्बी उड़ानें भरता रहता है और रच डालता है अपनी ही एक अलग नई दुनियाँ व नया इतिहास तथा  नए नए विचारों का गुलदस्ता लिए कूद पड़ता है जीवन रूपी गहरे समुन्दर में, वक्त की पतवार को थामे , लहरों के साथ झूलता , पवन की तरह हिलोरें लेता दिल रूपी सागर के अन्तस  से समेट लाता है अनमोल रत्न ...  कुछ हीरे कुछ मोती और बिखेर देता है ज़िन्दगी के कोरे ,साफ-सुथरे पाक दामन पर और वो पाक दामन है हमारा भोला सा ,प्यारा सा मासूम बचपन।           बचपन हम सभी की ज़िन्दगी का वो हिस्सा है जिस पर हमारा, हमारे समाज का, हमारे शहर का , हमारे राज्य का , हमारे देश का व सम्पूर्ण विश्व का भविष्य टिका हुआ है...

【02】झोली में मेरी क्या है...? दो रूहों की बात

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एक दिन... मेरी सहेली की रूह......! मेरे ख्वाब में आई.... और फूट फूट कर रोने लगी...  लिपट गयी मेरी रूह से आकर .... बोली....! बहन ...! झोली में मेरी क्या है...? कुछ भी तो नही... जन्म होते ही पिता चल बसे... कुछ वर्ष बाद माँ भी चली गयी...! मामा मामी ने आकर ... घर पर भी कब्ज़ा कर लिया... स्कूल जाना भी बन्द हो गया.... नोकरानी की तरह...  दिन रात काम करना.... मार खाना.... जली कटी सुनना... यही सब है मेरी झोली में....! फिर बोली.... बहन तू बता .... तू कैसी है ...? तेरी झोली में क्या है...? मेरी रूह बोली... बहन दुखी तो मैं भी थी.... मेरे माता पिता ने तो... मुझे बोझ समझ कर ... मरने के लिए ... भरी वारिश में ... मन्दिर की सीढ़ी पर छोड़ दिया...! मैं बीमार थी... वो छोटे भाई को लेकर चले गए....! पूजा दीदी जो हमेशा... सफेद साड़ी पहनती हैं.... मुझे अपने साथ ले आयीं... मैं उन्हीं के साथ .... रहती हूँ....! आज मेरी झोली में .... सुख का सागर.... खुशियों का भंडार है.... बाबा के प्रेम की.... अपार बौछार है.... खुला आसमां सुनहरा जहाँ है..... स्वर्ग सा घर है .... जिसे सब जन्नत कहते हैं.... मेरी बहन...

【01】समझना मत मुझे अबला 【महिला दिवस मुबारक हो】

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उठाकर रुख से हर पर्दा, नज़ारे सब दिखा दूँ ,  समझना मत मुझे अबला,  कयामत मैं बुला दूँगी भले कमज़ोर हूँ तन से, मगर फौलाद सी हूँ मैं दरिन्दों की हुकूमत को, मैं माटी में मिला दूँगी समझता है ख़ुदा खुदको, कभी खुद से मिला है क्या ख़ुदा की हर खुदाई का, सबब तुझको सिखा दूँगी अरे इन्सां सँभल जा अब, तुझे मौका मैं देती हूँ नहीं सँभला अगर तू अब, तो तांडव मैं मचा दूँगी तेरी औकात है क्या सुन, जन्म देती यही महिला  मैं 'माही' रब की दूती हूँ, नया मंज़र सजा दूँगी                         ©®डॉ०प्रतिभा 'माही'