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Showing posts from July, 2021

दिल तो बच्चा है【52】

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क्या आप सभी को अपना बचपन याद आता है...? दोस्तों ..!           क्या आप सभी को अपना बचपन याद आता है, ज़रूर आता होगा,  क्योंकि मुझे भी अपना बचपन बहुत याद आता है । मेरा दिल करता है  कि मैं उन्हीं दिनों में वापस लौट जाऊँ , पर ऐसा मुमकिन नहीं है ।              आपका दिल भी करता होगा कि आप  भी उन्हीं बचपन के दिनों में वापस लौट जायें , पर ऐसा नहीं हो सकता , हम बस उन दिनों को याद कर सकते हैं । उन्हीं दिन की यादों को सँजोते हुए , मैंने कुछ पंक्तियां कविता व ग़ज़ल के रूप में प्रस्तुत की है .....! मनचले   ******* आ चल ....! ले चलूँ तुझे... बचपन के उस दौर में ...! जब हम ... कुछ नटखट... कुछ भोले और मासूम... कुछ तेज तर्रार... तितली और भँवरे से उड़ा करते..! लड़ते झगड़ते.. रूठ जाते.. एक दूसरे से... बात बात पर कट्टी करते.... और... अगले ही पल पुच्चा कर लेते..! बन्दरों की भाँति... उछलते कूदते.... एक दूसरे की नकल कर... आपस मे चिढ़ाते... नाचते गाते... गले लगा लेते... न किसी का भय.... न किसी की फिकर.... हम सब ऐसे ही... मनचले थे ......

"कवियों का दिल अदब की महफ़िल" (खुशियों के पल) 【01】अखिल भारतीय कविसम्मेलन व मुशायरे (03/07/2021)

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एम० के० साहित्य अकादमी (रजि०) पंचकूला द्वारा दिनांक 03/07/2021 को शाम 6 बजे "कवियों का दिल अदब की महफ़िल" ऑनलाइन वेबिनार 【01】(खुशियों के पल) अखिल भारतीय कविसम्मेलन व मुशायरे का आयोजन  किया गया। जिसमें विभिन्न राज्यों व प्रान्तों से उपस्थित सभी प्रख्यात कलमकारों को Movement Of Happiness Award 2021 से नवाज़ा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री गणेश दत्त जी (पंचकूला) द्वारा की गई। डॉ० प्रतिभा 'माही' जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।  डॉ० प्रतिभा 'माही' जी ने प्रेम-श्रृंगार से ओतप्रोत ग़ज़ल सुनाई........ दिया एक जलाया सवेरे-सवेरे कोई पास आया सवेरे-सवेरे  सजा सेज कलियाँ लगीं गुदगुदाने हिया से लगाया सवेरे-सवेरे बतायें क्या तुमको कयामत क्या आयी लबों पर सजाया सवेरे-सवेरे नजर से नजर जब मिलाई थी उसने  नशा सा पिलाया सवेरे-सवेरे चुराकर जिया जब वो जाने लगा था  घटा बनके छाया सवेरे-सवेरे  मैं मदहोश होकर लगी झूमने जब आ खुद में समाया सवेरे-सवेरे न जाने क्यूँ माही चढ़ी ये ख़ुमारी  कदम डगमगाया सवेरे-सवेरे •••••••••••••••••••••• ©® डॉ प्रतिभा 'माही' •...

सरहद पर जाने की तैयारी .. 【51】

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  वीर सिपाही जब सरहद पर युद्ध मे जाने के लिए तैयार होता है तो अपने परिवार से कैसे विदा लेता है और क्या कहता है?  1)- पत्नी से विदाई लेता है और उसे गले लगाकर क्या कहता है देखिए:... आपका भी दिल भर आएगा....  चला हुन आज सरहद पर, कफ़न सिर पर सजाकर मैं  तेरे गजरे की ख़ुशबू को, चला मन में छुपाकर में  चुरा बहना की चंचलता , मुहब्बत थाम अपनों की  अजी नन्हीं सी चिड़िया को, चला दिल मे बसाकर मैं 2)-बहन से गले लिपट जाती है और कहती है भाई आज तू मेरा भी प्रण सुनले---- सजाकर शस्त्र काँधे पर, चलूँगी साथ मैं  वीरा समझले आज सीमा पर, लड़ूँगी साथ मैं  वीरा उठा आक्रोश है दिल में, रगों में रक्त फौजी है कदम पद चिन्ह पर तेरे, धरूँगी साथ मैं वीरा विश्वास दिलाने को फिर कहती है.... उठाकर रुख से हर पर्दा, नज़ारे सब दिखा दूँगी समझना मत मुझे अबला, कयामत मैं बुला दूँगी भले कमज़ोर हूँ तन से, मगर फौलाद सी हूँ मैं दरिन्दों की हुकूमत को, मैं माटी में मिला दूँगी 3) भाई अपनी जिद्दी बहन को समझाता है क्या कहता है देखें......! समझता हूँ तेरी हालत,...