सरहद पर जाने की तैयारी .. 【51】
वीर सिपाही जब सरहद पर युद्ध मे जाने के लिए तैयार होता है तो अपने परिवार से कैसे विदा लेता है और क्या कहता है?
1)- पत्नी से विदाई लेता है और उसे गले लगाकर क्या कहता है देखिए:... आपका भी दिल भर आएगा....
चला हुन आज सरहद पर, कफ़न सिर पर सजाकर मैं
तेरे गजरे की ख़ुशबू को, चला मन में छुपाकर में
चुरा बहना की चंचलता , मुहब्बत थाम अपनों की
अजी नन्हीं सी चिड़िया को, चला दिल मे बसाकर मैं
2)-बहन से गले लिपट जाती है और कहती है भाई आज तू मेरा भी प्रण सुनले----
सजाकर शस्त्र काँधे पर, चलूँगी साथ मैं वीरा
समझले आज सीमा पर, लड़ूँगी साथ मैं वीरा
उठा आक्रोश है दिल में, रगों में रक्त फौजी है
कदम पद चिन्ह पर तेरे, धरूँगी साथ मैं वीरा
विश्वास दिलाने को फिर कहती है....
उठाकर रुख से हर पर्दा, नज़ारे सब दिखा दूँगी
समझना मत मुझे अबला, कयामत मैं बुला दूँगी
भले कमज़ोर हूँ तन से, मगर फौलाद सी हूँ मैं
दरिन्दों की हुकूमत को, मैं माटी में मिला दूँगी
3) भाई अपनी जिद्दी बहन को समझाता है क्या कहता है देखें......!
समझता हूँ तेरी हालत, लहू तेरा उबलता है
तू हिन्दुस्तां की बेटी है, तेरा दिल भी मचलता है
मगर तू बन कवच घर का, निभाना फ़र्ज़ मेरा तू
हवाले कर चमन तेरे, तेरा वीरा निकलता है
4)- जब वो वीर सिपाही माँ के पास जाता है तो
माँ क्या कहती है सुनें.....
सुनो बेटा न जाया हो, ये कुर्बानी शहीदों की
बचे ना नस्ल अब कोई, छुपे पाकी रकीबों की
तू चुन चुन कर मिटा देना, हुकूमत को हिला देना
मेरा आशीष तेरे सर , मदद करना रफ़ीकों की
5)- बेटा माँ को विश्वास दिलाता है और क्या जबाब देता है देखें .....
रचूँगा एक नया मंज़र, नए करतब दिखाकर मैं
तजा सुख चैन अब सारा, चला आशी पाकर मैं
मिटाऊँगा सभी आतंक, कसम तेरी उठाई माँ
चुकाने को तेरा ऋण अब , चला सिर को उठाकर मैं
© डॉ० प्रतिभा 'माही'
बेहतरीन
ReplyDeleteशुक्रिया आलोक जी💐💐💐
Deleteशुक्रिया आलोक जी💐💐💐
DeleteGood example of Hindu Nationalism propagated by R R S these days.
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