"कवियों का दिल अदब की महफ़िल" (खुशियों के पल) 【01】अखिल भारतीय कविसम्मेलन व मुशायरे (03/07/2021)

एम० के० साहित्य अकादमी (रजि०) पंचकूला द्वारा दिनांक 03/07/2021 को शाम 6 बजे "कवियों का दिल अदब की महफ़िल" ऑनलाइन वेबिनार 【01】(खुशियों के पल) अखिल भारतीय कविसम्मेलन व मुशायरे का आयोजन  किया गया। जिसमें विभिन्न राज्यों व प्रान्तों से उपस्थित सभी प्रख्यात कलमकारों को Movement Of Happiness Award 2021 से नवाज़ा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री गणेश दत्त जी (पंचकूला) द्वारा की गई। डॉ० प्रतिभा 'माही' जी ने कार्यक्रम का संचालन किया। 


डॉ० प्रतिभा 'माही' जी ने प्रेम-श्रृंगार से ओतप्रोत ग़ज़ल सुनाई........
दिया एक जलाया सवेरे-सवेरे
कोई पास आया सवेरे-सवेरे 

सजा सेज कलियाँ लगीं गुदगुदाने
हिया से लगाया सवेरे-सवेरे

बतायें क्या तुमको कयामत क्या आयी
लबों पर सजाया सवेरे-सवेरे

नजर से नजर जब मिलाई थी उसने 
नशा सा पिलाया सवेरे-सवेरे

चुराकर जिया जब वो जाने लगा था
 घटा बनके छाया सवेरे-सवेरे

 मैं मदहोश होकर लगी झूमने जब
आ खुद में समाया सवेरे-सवेरे

न जाने क्यूँ माही चढ़ी ये ख़ुमारी 
कदम डगमगाया सवेरे-सवेरे
••••••••••••••••••••••
©® डॉ प्रतिभा 'माही'
•••••••••••••••••••••••

समारोह में उपस्थित प्रख्यात कवि व शायर 
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••

1. डॉ० अर्चना गुप्ता जी (मुरादाबाद) ने अपनी मधुर आवाज़ में यादों की फुलवारी महकाई....
सपनों की मोहक वादी में , महक रही हर क्यारी है
सजी हुई सुन्दर फूलों से, यादों की फुलवारी है

यहाँ मिले जो दोस्त तुम्हें हैं ,उनको कभी नहीं खोना
भौतिकवादी युग में मुश्किल मिलना सच्ची यारी है

दुख से मत घबरा जाना तुम,आयेंगे सुख भी इक दिन
देर सवेर भले हो जाए,आती सबकी बारी है

सोचा करती हैं ये नदियां, सागर से जब मिलती हैं
अच्छे लोगों के होते भी, दुनिया कितनी खारी है

मिट जाएगी सारी इज़्ज़त, पल में पूरे जीवन की
याद सदा रखना अभिमानी, होना भी बीमारी है

जिसमें हमने पत्र पुराने ,बड़े सँजोकर रक्खे थे
आज तलक भी खूब महकती,दिल की वो अलमारी है

लिखती यदि सिंगार ‘अर्चना’, लिखती जन की बातें भी
उसके शब्दों में भावों की , मार बहुत दोधारी है
•••••••••••••••••••••••
डॉ० अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उत्तर प्रदेश)
••••••••••••••••••••••••

2. श्री आलोक रंजन इन्दौरवी जी (इन्दौर) ने दर्दे  दिल की कहानी कही.....
दर्दे दिल की एक कहानी लिखना है
आया क्यों आंखों में पानी लिखना है

सुनकर उनके दिल का हाल लगा मुझको
गहरी है ये प्रीत दिवानी लिखना है

इश्क मुहब्बत प्यार इसे ही कहते हैं
आई है फिर एक जवानी लिखना है

अपने दिल का राज छुपाके तुम रक्खो
हमको इसकी एक निशानी लिखना है

आंखों के उजले उजले सपनें को अब
रंगों से भरकर अंजानी, लिखना है

प्रेम दिवानों का किस्सा दुहराकर के
मिलने की रुत एक सुहानी लिखना है

सागर  की  गहराई  में  उतरें  रंजन
पागल दिल की है नादानी लिखना है
••••••••••••••••••••••••••••••
आलोक रंजन इंदौरवी【इंदौर】
••••••••••••••••••••••••••••••

3. डॉ० शशि तिवारी जी (आगरा) ने करोना आपदा के इस बेढब समय में निस्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ताओं के उत्साहवर्धन के लिए मेरा यह गीत सुनाया....
ये कर्मवीर ये धर्मवीर,
इनको हम करें प्रणाम।
इनको हम करें प्रणाम।।

प्रेम और निस्वार्थ भाव से कर्तव्यों का पालन
जो करते हैं उनके माथे सदा लगाओ चन्दन
सेवा को ही धर्म समझते
होकर जो निष्काम।
इनको हम करें प्रणाम।।

औरों की सेवा में जिनका सदा लगा है ध्यान
उनके गर्मजोश का कोई हमें नहीं अनुमान
आओ इनका जोश बढ़ायें
ये हैं सुख के धाम।
इनको हम करें प्रणाम।।

भीषण बीमारी के रोगी की जो सेवा करते
उनकी इच्छाशक्ति बढ़ाते कोरोना से लड़ते
लम्बा युद्ध चलेगा फिर भी शुभ होगा परिणाम।
इनको हम‌करें प्रणाम।।
 ••••••••••••••••••••
प्रो.(डॉ.)शशि तिवारी
अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री, साहित्यकार, समाजसेवी
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••

4. डॉ० एल० बी० तिवारी 'अक्स' जी (प्रतापगढ़) ने ग़ज़ल प्रस्तुत की:.....
एक कोने में  पड़ा है , आइना टूटा हुआ !!
वक्त का मारा हुआ है ,आइना टूटा हुआ !!

देखकर बिखरावअपने दिलका शायद इसलिए
कुछ नहींअब बोलता है,आइना टूटा हुआ !!

कितने टुकड़ों में बंटा है दिल हमारा दोस्तो,
दर हकीकत जानता है , आइना टूटा हुआ !!

दूरियाँ  कितनी  बढ़ी  हैं , जानने  के वास्ते,
दिल हमारा  चाहता है , आइना टूटा हुआ !!

होंठ पर मुस्कान-खुशियाँ, इक मुहब्बत के सिवा,
कब कहाँ कुछ मांगता है,आइना टूटा हुआ !!

लोग  डरते  हैं  तभी  आते  नहीं  हैं सामने ,
राज दिल के खोलता है,आइना टूटा हुआ !!

देर तक सजना-संवरना रूबरू जिसके तेरा ,
क्या हुआ?अब पूंछता हैआइना टूटा हुआ !!

आप ने भी खै़रियत पूछी नहीं उसकी कभी,
दर्द  कितने  झेलता है , आइना टूटा हुआ !!

इक न इक दिन उसको भी कीमत चुकानी थी,मगर
सरहदें क्यूँ लांघता है , आइना टूटा हुआ !!

रूठना मनुहार करना हुश्न पर खुद रीझना,
बस यही तो चाहता है आइना टूटा हुआ !!

क्यों समझ आता नहीं बेरह्म ही  दुनिया है ये,
किसके पीछे भागता है, आइना टूटा हुआ !!

फिर जुड़ेंगे दिल से दिल ये खुशगुमानी छोड़िये,
कब दिलों को जोड़ता है , आइना टूटा हुआ !!

आप तन्हाई में जिससे देर तक बतियाते थे,
घर से  वो लापता  है , आइना टूटा हुआ !!

कल तलक जिसको था अपनी हक़ बयानी पर गुमां,
आज कातर दीखता है , आइना टूटा हुआ !!

अक्स चेहरे को नुमाया आइना करता ,मगर
दिल के अन्दर झांकता है,आइना टूटा हुआ !!
•••••••••••••••••••••••••
 © डॉ एल बी तिवारी 'अक्स'
•••••••••••••••••••••••••
5. डॉ० रोशनी किरण जी (मुम्बई) ने अपनी ग़ज़ल के ज़माने की हकीकत को दर्शाया ... .
उन्हें कैसे बताएं हम हक़ीक़त देख ली उनकी 
 रखें ईर्ष्या हमेशा ही मोहब्बत देख ली उनकी 

 कहें अपना , भरम पाले जमाने भर में फिरते हैं 
 वफ़ा उनकी नहीं दिखती शराफत देख ली उनकी 
 
वफ़ा के वो ख़ुदा बनते जफाओं के जमाने में 
 मोहब्बत उनकी पल-छिन की अदावत देख ली उनकी 

भरोसा अब नहीं उनकी मोहब्बत पर हमें यारा 
 जफ़ा ही बस मिली हम को इनायत देख ली उनकी 

"किरण" उनकी कभी बातें समझ ना आ सकी हमको 
कहें कुछ भी , करें कुछ भी रवायत देख ली उनकी 
••••••••••••••••••••••••••••
©डॉ० रोशनी किरण (मुम्बई)
•••••••••••••••••••••••••••••
       
श्री गणेश दत्त जी ने अध्यक्षता करते हुए अपना गीत सुनाया "मन की होली''
     ©श्री गणेश दत्त (पंचकूला)
 
             डॉ०प्रतिभा 'माही' (फाउंडर/चैयरमेन)
         एम० के० साहित्य अकादमी (रजि०) पंचकूला

Comments

Popular posts from this blog

भगवा है पहचान हमारी (70) हिन्दुत्व राष्ट्र

मेरा प्यार (90)

खट्टा-मीठा इश्क़...! [ COMING SOON MY NEW BOOK ] प्यार भरी नज़्में (मुक्त छंद काव्य)