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Showing posts from January, 2024

राम राम

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बाँच सको तो ख़ुद को बाँचो, फिर दूजों पर हाथ धरो। पहले खुद के भीतर झाँको,  फिर औरों की बात करो। समझ में खुद ही आ जायेगा हो कितने पानी में तुम। जीना है तो बनो राम से ,सबके दिल में राज करो। आ गया भई आ गया, राम लला फिर आ  गया छा गया भई छा गया राम राज फिर छा गया।। जाग उठा है देखो हिदू, निकल पड़ा है सड़कों पर। चरण बढ़ाया है सतयुग ने, भगवा लहराया हर दिल पर। भा गया भई भा गया श्रीराम भक्त अब भा गया।। बदल गया घर-घर का नजारा,  दुनिया सारी बदल गई..! नाच रही सच्चाई सर पर, सारी बाज़ी पलट  दईं ..! ढा गया भा ढा गया, बुनियाद झूठ की ढा गया।। लोग दिवाली मना रहे हैं सजा लिया है घर आंगन...! राम लाल घर घर में आए, भरा खुशी से हर दामन...! गा गया भई गा गया, बच्चा बच्चा  गा गया।। दोहा करें पाप का अंत जहां में, पापी का उद्धार करें । श्रद्धा भक्ति भाव समर्पण,  देख सदा उपकार करें।। ऐसे हैं श्री राम ..।4 मेरे ऐसे हैं श्री राम...!2 ऊँच नीच का भेद मिटाकर , सबको गले  लगाते हैं। पितु के आज्ञाकारी पुत्तर , पितु का वचन निभाते हैं। छोड़ छाड़ कर राज-पाट सब, वन में जा बस जाते हैं। ...

ऐसे मेरे रघुवर रामा...! (87)

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दोहा (01) वास करें दिल मे सदा, मेरे प्रियवर राम। राम-राम रटते रहो, पाओगे आराम।।माही।। (02) करें पाप का अंत जहां में, पापी का उद्धार करें । श्रद्धा भक्ति भाव समर्पण,  देख सदा उपकार करें।। गीत **** ऐसे हैं श्री राम ..।4 मेरे ऐसे हैं श्री राम...!2 ऊँच नीच का भेद मिटाकर , सबको गले  लगाते हैं। पितु के आज्ञाकारी पुत्तर , पितु का वचन निभाते हैं। छोड़ छाड़ कर राज-पाट सब, वन में जा बस जाते हैं। ऐसे हैं श्री राम ..। मेरे ऐसे हैं श्री राम...! विश्वामित्र के ख़ातिर रघुवर, राक्षस  से भिड़ जाते हैं। यज्ञ में विध्न न आये कोई,  सेवा में जुट जाते हैं। पूरा यज्ञ कराकर गुरु का, अपना फर्ज निभाते हैं ऐसे हैं श्री राम ..। मेरे ऐसे हैं श्री राम...! गौतम ऋषि ने मात अहिल्या,  को जब ठोकर मारी।  मात अहिल्या बनी शिला तब  थी उनकी लाचारी ।। शिला अहिल्या को पद रज से, श्राप मुक्त कर जाते हैं। ऐसे हैं श्री राम ..। मेरे ऐसे हैं श्री राम...! @@@@@@                         मुक्तक जिन्हें तुम याद करते हो, वो म...

सजादी आज अयोध्या फिर (86)

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मुक्तक कहाँ हो राम आ जाओ,                  सजादी आज अयोध्या फिर। छुपे हो किस जहाँ में तुम,                  बुलाती आज अयोध्या फिर।। नज़ारे देख दुनिया के,                 नज़र ढूढे सदा तुमको। लिखा अश्कों से हाल-ए-दिल,                 सुनाती आज अयोध्या फिर।। गीत आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं। जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में  रहते हैं।। जहां रूप नन्हें रघुवर का, ह्रदय बीच समा जाये। जन्म भूमि जो राम लला की, सबके मन को भा जाये। ठुमुक-ठुमुक कर चलने वाले, हाथ सभी का गहते हैं। आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं। जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में  रहते हैं।। मर्यादा पुरुषोत्तम ने, मर्यादा सबको सिखलाई ऊंच नींच का भेद मिटाकर, सच्ची प्रीती दिखलाई वो ही राम केवट, निषाद सबरी के संग में रहते हैं आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं। जहाँ भक्त जन राम-राम कह रम...

अमर कहानी ( 85)

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*अमर कहानी*  *************** आजा़दी की अमर कहानी,  तुमको आज सुनाते हैं। इतिहास पुरुष नेता सुभाष से,  तुमको हम मिलवाते हैं।। रक्त कणों से लिखी दास्तां,  अदभुत अज़ब निशानी है। मां की खातिर लहू न उबले, खून नहीं वो पानी है।। नेता सुभाष ने एक सभा में,  मांगी जब कुर्बानी थी । वर्मा के उन लोगों ने तब,  खून की कीमत जानी थी।। बोले, आजादी पाने को,  बलि बेदी पर चढ़ना होगा । तुम खूब नजारे देख चुके,  अब तो आगे बढ़ना होगा।। बेड़ी मां की कटवाने को,  बढ़ चढ़कर होड़ लगा लेना। मां से मिलने का वक्त मिले,  चरणों में शीश चढ़ा देना।।   आज़ादी की सुनो लड़ाई,  क्या डर कर  जीती जाती है। बेखौफ़ खुशी से हंसते-हंसते,  सिर नंगे बलि दी जाती है।। स्वतंत्रता की देवी को,  जो जयमाला पहनानी है। सुनो साथियों शीश फूल से,  वो माल तुम्हें गुंथवानी है।। नेताजी के नैनों में तब,  यारो खून उभर आया। दमक उठा मुखड़ा सूरज सा,   चमक उठी कंचन काया।। हाथ उठा बोले नेताजी,  तुम अपना खून मुझे  देना। इसके बदले में तुम मुझसे ...