राम राम



बाँच सको तो ख़ुद को बाँचो, फिर दूजों पर हाथ धरो।
पहले खुद के भीतर झाँको,  फिर औरों की बात करो।
समझ में खुद ही आ जायेगा हो कितने पानी में तुम।
जीना है तो बनो राम से ,सबके दिल में राज करो।

आ गया भई आ गया, राम लला फिर आ  गया
छा गया भई छा गया राम राज फिर छा गया।।

जाग उठा है देखो हिदू, निकल पड़ा है सड़कों पर।
चरण बढ़ाया है सतयुग ने, भगवा लहराया हर दिल पर।
भा गया भई भा गया श्रीराम भक्त अब भा गया।।

बदल गया घर-घर का नजारा,  दुनिया सारी बदल गई..!
नाच रही सच्चाई सर पर, सारी बाज़ी पलट  दईं ..!
ढा गया भा ढा गया, बुनियाद झूठ की ढा गया।।

लोग दिवाली मना रहे हैं सजा लिया है घर आंगन...!
राम लाल घर घर में आए, भरा खुशी से हर दामन...!
गा गया भई गा गया, बच्चा बच्चा  गा गया।।


दोहा
करें पाप का अंत जहां में, पापी का उद्धार करें ।
श्रद्धा भक्ति भाव समर्पण,  देख सदा उपकार करें।।

ऐसे हैं श्री राम ..।4
मेरे ऐसे हैं श्री राम...!2

ऊँच नीच का भेद मिटाकर ,
सबको गले  लगाते हैं।
पितु के आज्ञाकारी पुत्तर ,
पितु का वचन निभाते हैं।
छोड़ छाड़ कर राज-पाट सब,
वन में जा बस जाते हैं।
ऐसे हैं श्री राम ..।
मेरे ऐसे हैं श्री राम...!

आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।
जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में  रहते हैं।।
जहां रूप नन्हें रघुवर का, ह्रदय बीच समा जाये।
जन्म भूमि जो राम लला की, सबके मन को भा जाये।
ठुमुक-ठुमुक कर चलने वाले, हाथ सभी का गहते हैं।
आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।

आ गया भई आ गया, राम लला फिर आ  गया
छा गया भई छा गया राम राज फिर छा गया।।

जाग उठा है देखो हिदू, निकल पड़ा है सड़कों पर।
चरण बढ़ाया है सतयुग ने, भगवा लहराया हर दिल पर।
भा गया भई भा गया श्रीराम भक्त अब भा गया।।

Comments

Popular posts from this blog

खट्टा-मीठा इश्क़...! [ COMING SOON MY NEW BOOK ] प्यार भरी नज़्में (मुक्त छंद काव्य)

भगवा है पहचान हमारी (70) हिन्दुत्व राष्ट्र

मेरा प्यार (90)