सजादी आज अयोध्या फिर (86)
मुक्तक
कहाँ हो राम आ जाओ,
सजादी आज अयोध्या फिर।
छुपे हो किस जहाँ में तुम,
बुलाती आज अयोध्या फिर।।
नज़ारे देख दुनिया के,
नज़र ढूढे सदा तुमको।
लिखा अश्कों से हाल-ए-दिल,
सुनाती आज अयोध्या फिर।।
गीत
आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।
जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में रहते हैं।।
जहां रूप नन्हें रघुवर का, ह्रदय बीच समा जाये।
जन्म भूमि जो राम लला की, सबके मन को भा जाये।
ठुमुक-ठुमुक कर चलने वाले, हाथ सभी का गहते हैं।
आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।
जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में रहते हैं।।
मर्यादा पुरुषोत्तम ने, मर्यादा सबको सिखलाई
ऊंच नींच का भेद मिटाकर, सच्ची प्रीती दिखलाई
वो ही राम केवट, निषाद सबरी के संग में रहते हैं
आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।
जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में रहते हैं।।
दशरथ के चारो सुत नंदन, जग की चार दिशाएं हैं।
प्रेम समर्पण दया व करुणा उनकी चार भुजाएं हैं।
राम राज्य रहता है घर घर सभी प्रेम में बहते हैं
आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।
जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में रहते हैं।।
आ गियो भई आ गियो, राम राज फिर आ गियो...!
छा गियो भई छा गियो, राम लला फिर छा गियो...!!
देखो हिदू जाग उठो है, निकल पड़ो गलियारे में..!
सतयुग ने आ कदम बड़ायो, भगवा लहरायो दिल में..!
भा गियो भई भा गियो मोदी सबकूं भा गियो।।
आ गियो भई आ गयो, राम राज फिर आ गियो
बदल गयो घर-घर को नज़ारो, दुनिया सबरी बदल गई..!
नाच रही सच्चाई सर पर, सबरी बाज़ी पलट दईं ..!
ढा रियो भई ढा रियो, बुनियाद झूठ की ढा रियो..!
आ गियो भई आ गियो, राम राज फिर आ गियो..!!
लोग दिवारी मनाय रये ऐं, सजाय लियो है घर आंगन...!
राम लला घर घर में आयो, कर दयो सबको नाम पावन..!
गा रियो भई गा रियो, बच्चा बच्चा गा रियो।।
आ गियो भई आ गियो, राम राज फिर आ गियो..!!
लूट पाट सब करने वाले, नत मस्तक हो आते हैं..!
पाप और शोषण से अपने, तौबा करते जाते हैं.....!
खा गियो भई आ गियाे , भ्रष्टाचार खा गियो.....!
आ गियो भई आ गियो, राम राज फिर आ गियो..!!
© Dr. Pratibha 'Mahi'
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