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प्यार का खूबसूरत एहसास

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प्यार-इश्क़-मुहब्बत..... एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है....! मन का भाव है..... जो दुनियां को दिखाया व बताया नहीं जा सकता...! यह तो सिर्फ हृदय से महसूस कर.... एक दूसरे को.... महसूस करवाया जा सकता है...! जिस तरह तुम... धन-दौलत व अनमोल वस्तुओं को... तिजोरियों में छुपाकर रखते हो...! उसी तरह तुमको... अपना प्यार भी... दिल के तहखाने की तिजोरी में... सँजोकर रखना चाहिए...! प्यार की नुमाइश मत कर ....! मेरे दोस्त.... किसी क नज़र न लग जाये.....! अपने प्यार को... दुनिया के रीति रिवाजों की... जंजीरों में मत जकड़.... खुला आसमान दे.... पनपने दे अपने प्यार को.... ताकि वो एक विशाल महासागर ... बन जाये....  और... विलीन हो जाये तू अपने प्यार में.... इसी को समाधि कहते हैं....! लगती है जब समाधि ... तो शून्य हो जाते हैं .... शून्य हो जाती है ये ज़िन्दगी....! अर्थात.... शून्य ही हमारा अस्तित्व है....! और शून्य ही है.. हमारा परमपिता परमात्मा.....! आख़िर.... सब कुछ शून्य ही तो है....! © डॉ० प्रतिभा माही

टूटे ना आस मेरी पहले आ जाओ ना

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सरस्वती वन्दना

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                  शरण खड़ी हूँ मात भारती तुम्हारी मैं अपनी कृपा से झोली आज भर दीजिये... लिखती हूँ, बोलती हूँ, जो भी काम करती हूँ  शब्दों में दाती शुद्ध भाव भर दीजिये.... सूफी संत सूर मीरा, जैसे झूम गाऊँ मैं बुल्लेशाह सी प्रेम भक्ति, आन भर दीजिये.... जग को जगाने का जो, भार हमें सौंपा माँ लेखनी में धार-औ-मिठास भर दीजिए.. © डॉ० प्रतिभा माही

कौन है परमात्मा..?

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              परमपिता परमात्मा को समर्पित दोहे                                  दोहा【1】                  आओ शिव के धाम तुम, पालो थोड़ा ज्ञान ।                 माटी का यह तन सुनो, कुछ दिन का मेहमान।।                                 दोहा【2】               परमपिता जिसको कहें, शिव है उनका नाम।                सिफ़र रूप में जो सदा, रहते शान्ति धाम।।                                       दोहा【3】                       तीन कर्म हैं ईश के , रचना व विद्ध्वंश। ...

Shivpiya (शिवपिया) संस्मरण:- पिछली याद का एहसास

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                 ॐ शांति..ॐ शांति ...ॐ शांति                    पिछली याद का एहसास                                     दोहा           गुरु मिला औ-रब मिला, मिला अनोखा प्यार             मैं तो गद-गद हो गई, स्वप्न  हुआ साकार                                 दोहा               मेरे तो हैं शिव सदा,  है दूसरो न कोइ           ज्योति स्वरूपा बिंदु जो, है मेरो पति सोइ                                 दोहा           मेरे तो हैं शिवपिया ,...

माही का आत्मचिन्तन

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                                 आत्मचिंतन             दोस्तो आज हम आपके साथ अपनी रहस्य मयी दुनियाँ के कुछ लम्हें कुछ पहलू बाँटना चाहते हैं। वो लम्हें जिनमें हम अकेले ही खोए रहते हैं। कोई  है जिसकी महक , जिसकी ख़ुशबू हमारे इर्द गिर्द घूमती रहती है। कोई है जो हर पल हमारी हिम्मत , हमारा हौसला बनकर हमारे साथ रहता है, जिसके साथ हम रूबरू न होते हुए भी मस्त हो विचरते रहते हैं, हँसते रहते हैं, और घण्टों बात करते रहते हैं। न प्यास का आभास न भूख का एहसास होता है।              भोर से शाम, शाम से रैन और रैन ढलते ढलते भोर कब हो जाती है पता ही नहीं लगता। रात के वीरान ख़ामोश मंज़र में वक्त के पहिये के साथ बढ़ती , टिक-टिक करती , घड़ी की सुईयों से आती ध्वनि से निकलता सुरमयी अनुपम मनोहक संगीत हमें अपने आगोश में लिए बहता चला जाता है और हम अपने दोनों चक्षु मूदे हुए उस संगीत रूपी सागर की लहरों के साथ अमृत रस  में गोते ...

इश्क मेरा सूफियाना की चार गजलें आपकी नजर

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      Dr Pratibha Mahi Panchkula