Shivpiya (शिवपिया) संस्मरण:- पिछली याद का एहसास

                 ॐ शांति..ॐ शांति ...ॐ शांति
                   पिछली याद का एहसास
                                   दोहा
         गुरु मिला औ-रब मिला, मिला अनोखा प्यार 
           मैं तो गद-गद हो गई, स्वप्न  हुआ साकार

                                दोहा
             मेरे तो हैं शिव सदा,  है दूसरो न कोइ
          ज्योति स्वरूपा बिंदु जो, है मेरो पति सोइ

                                दोहा
         मेरे तो हैं शिवपिया , मिला अनौखा दान
         खुद ही खुद को दे गये, आ भोले भगवान
                                दोहा
            बोले रखना साथ में , ये मेरा शिवलिंग
             सदा रहूँगा अक्स बन, माही तेरे ढिंग
                             संस्मरण

                     शिवलिंग की प्राप्ति
            यह घटना 2001-2002 के मध्य की है जब मैं अपने ऑफिस में एक कमरे में अकेली बैठी हुई थी, तो दोपहर के वक्त , एक साधु बाबा,  जो काले रंग के कपड़े पहने हुए थे, तथा काले रंग की ही काँधे पर एक झोली टांगे हुए थे, उनकी जटाऐं बहुत लंबी लंबी थी कुछ जटाओं का जूड़ा बना रखा था,उनके हाथों में चिमटा और त्रिशूल था , बाजु व गले में और सिर पर जूड़े में रुद्राक्ष की मालाएं पहने हुए थे, चेहरे पर सफेद रंग की भभूत लगा रखी थी और एक लाल रंग का तिलक लगाया हुआ था। मैं उन्हें देख कर डर गई और फिर दुबारा उनकी तरफ देखने की हिम्मत नहीं कर पाई। 
      वह दरवाजे पर ही खड़े होकर बोले बेटा डरो मत मैं तुम्हें सिर्फ यह बताने आया हूँ कि कुछ समय की बात है घबराना मत तुम बहुत ऊपर तक जाओगी, तुम्हारे जीवन में कभी भी रुपयों पैसों की कमी नहीं रहेगी जब तुम्हें जरूरत होगी तब तुम्हें मिल जाएगा। तुम बहुत ऊंचाइयों तक जाओगी तुम्हारे दोनों बच्चे कामयाब होंगे और तुम्हारा दुनिया में नाम होगा। बस तुम मेरी एक बात मान लेना, जो मैं यह तुम्हें एक तोहफा देकर जा रहा हूँ, इसे हमेशा अपने पास, अपने साथ रखना और इतना कहकर वह तोहफा उन्होंने मेरी मेज पर रख दिया और आशीर्वाद के रूप में हाथ उठाकर मुझे आशीर्वाद दिया (यह सब मे चोरी-चोरी चुपके से देख व सुन रही थी) और वह इतना कह कमरे से बाहर चले गए।

      जब वह कमरे से बाहर चले गए तो मैंने देखा कि मेरी मेज पर एक छोटा सा (मटर के दाने के बराबर) हरे रंग का शिवलिंग रखा हुआ है, मैंने तुरंत ही उसको हाथ में लिया और देखा वह शिवलिंग अत्यंत ही खूबसूरत था। इससे पहले मैंने ऐसा शिवलिंग कभी नहीं देखा था । (और मुझे लगता है अब तक आपने भी नहीं देखा होगा) मैं तुरंत ही कमरे से बाहर आई और देखा कि बाबा किधर गए। लेकिन पता ही नहीं लगा कि वह बाबा किधर गायब हो गए कहां गए और कहां से आए थे।  

      मैंने ऑफिस के और लोगों से पूछा तो उन्होंने कहा हमने तो किसी को नहीं देखा। जब मैंने उन्हें सारी बात बताई तो एक मेडम बोली होगा कोई पर तू ऐसे बाबाओं के चक्कर मे मत आ जाना। उसके बाद घर आकर अपनी मम्मी को बात बताई तो मम्मी ने कहा, कुछ लेके तो नहीं गये देकर ही गये हैं वो भी एक शिवलिंग तो रखले अपने पास उनकी बात मानकर, क्या पता भगवान ही उस बाबा के रूपमे आये हों। तब मम्मी ने मुझे अपना भी एक किस्सा सुनाया। बोली मेरे साथ भी एक बार ऐसा हुआ था तुम्हारे भाई के आने से पहले। मैंने भी एक बाबा को सफेद कपड़ों में देखा जो उसने बताया था सब वैसे ही हुआ। किन्तु फिर वो कभी कहीं  नज़र नहीं आया। इसलिए ज्यादा मत सोच उनकी बात मान ले।
      मैंने वो शिवलिंग अपने पास बड़े प्यार से संभाल कर रख लिया। तब से उन बाबाको मैंने आज तक कभी नहीं देखा । 
             जब मैंने राजयोग का 7 दिन का कोर्स किया जिसके माध्यम से मुझे ज्ञान प्राप्त हुआ और उसके बाद उसके आठवें दिन मैंने बाबा को पत्र लिखा और अपना सवाल लिखा मुझे दूसरे दिन मुरली के माध्यम से अपने सभी सवालों का जवाब मिल गया, और जवाब सुनकर मैं फूट-फूटकर लगभग आधा पौना घंटे रोती रही, उसके बाद बाबा ने मुझे अपना एहसास कराया और बताया कि तू तो मेरी प्यारी बच्ची शिवप्रिया है क्यों रोती है, तू कहती है, मैं आया नहीं, तू मुझसे मिलना चाह रही थी, मैं तो तुझ से कई बार मिल चुका हूँ और तुझे तोहफा भी देकर गया था ।

       जब उन्होंने एहसास कराया तब मुझे अपने जीवन की वह सभी घटनाएं याद आ गई और एक फिल्म की तरह वह सब मेरी नजरों के सामने से गुजरने लगा । वह शिवलिंग भी याद आया, जिसका मैंने ऊपर जिक्र किया है और वह शिवलिंग आज भी मेरे पास, मेरे साथ, हमेशा मेरे पर्स में रहता है । 
     ओम शांति

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