राजयोग: जीवन का अमूल्य उद्देश्य



मन की बात
दोहा【1】
गुरु मिला औ-रब मिला, मिला अनोखा प्यार।
मैं तो गद-गद हो गई, स्वप्न  हुआ साकार।।
दोहा【2】
मेरे तो हैं शिव सखा,  दूसरो ना कोई।
ज्योति स्वरूपा बिंदु जो, मेरो तौ बस वोहि।।
दोहा【3】
द्वारे आये शिवपिया, मिला अनौखा दान।
ख़ुद ही ख़ुद को दे गये, आ भोले भगवान।।
दोहा【4
बोले रखना साथ में , ये मेरा शिवलिंग।
सदा रहूँगा अक्स बन, माही तेरे ढिंग।।


मैं कौन हूँ
दोहा【5】
पांच तत्व से है बना, सुंदर रूप अनूप।
मैं तो हूँ इक आत्मा, बिन्दी ज्योति स्वरूप।।

दोहा【6】
नाम मिरा है शिव पिया , दिया प्रभू ने आन। 
कुछ प्रतिभा माही कहें, कुछ अब तक अनजान।।

बाबा का संदेश
दोहा 【7】
 प्रभु ने आकर के कहा, बोले सुन धर ध्यान।
 जो भी लिखती तू सदा , लिखवाता मैं आन।।
दोहा 【8】
 जो कुछ पहले है लिखा , वो था पिछला ज्ञान।
 बन लोगों का आइना, लिख अब वचन प्रधान।।
दोहा 【9】
वाणी तेरी  भारती , तू लक्ष्मी का रूप।
मैं हूँ तेरी लेखनी , तू छाया मैं धूप।।
दोहा 【10】
लिख तू अब मेरे वचन, जग का हो कल्याण।
जाना है निज धाम अब, हो सबको संज्ञान।।
दोहा 【11】
जग की ख़ातिर है गढ़ा, कर अब पूरा काम। 
राह निहारूँ माहिया , कब लौटेगी धाम।।
दोहा 【12】
मीठे मीठे सिखलधे, बच्चो सुनलो आन।
लिखती जो भी शिवपिया,  है मेरा ही ज्ञान।।


बाबा को पूर्ण समर्पण
दोहा【13】
काम दिए जो आपने, सुन मेरे सरताज़।
बाँध पोटली प्रीत की, निकल पड़ी हूँ आज।।
दोहा【14】
डूब याद में बावरी, जाती है शिवधाम।
बैठ पिया के पास में, रोज करे विश्राम।।
दोहा【15】
पीछे-पीछे चल रहे, भोले बाबा आय।
कोटि कोटि करती नमन, अपना शीश झुकाय।।

इन्द्रियों पर विजय
दोहा【16】
दास बनी सब इंद्रियां , हुई खुशी से लाल। 
बाबा तेरे प्यार से, हूँ मैं मालामाल।।
दोहा【17】
मनसा वाचा कर्मणा, तीनो की सरताज़।
बाबा तेरी शिवपिया, करती सब पर राज।।

रूह की शक्ति :- 
दोहा【18】
तीन शक्तियाँ रूह की, मन बुद्धि संस्कार।
बनी सारथी जीव की, चला रही संसार।।
दोहा【19】
निर्णय शक्ति बुद्धि की, मन तो करे विचार।
पूर्व जन्म के कर्म से , रूह पाये संस्कार।।

रूह के सात गुण
दोहा【20】
सुख शक्ति प्रेम पवित्रता, आनन्द और ज्ञान।
हैं आत्मा के सात गुण, शान्ति है वरदान।।
दोहा【21】
सात गुणों से माहिया , करती हूँ श्रृंगार।
नूर झलकता आपका , होता है दीदार ।।

शिव महिमा
दोहा【22】
पाकर तुझको साथ में, नाचे मन का मोर।
महिमा तेरी क्या कहूँ, जिसका ओर न छोर।।
दोहा【23】
शिव कहूँ ब्रह्मा कहूँ,  या नारायण राज।
सब में तेरा अंश हैं, तू सबका सरताज।।
दोहा【24】
आन पढ़ाते हैं हमें, शिव बाबा हर रोज।
हर संकट को दूर कर, ले जाते सब बोझ।।
दोहा【25】
टेर लगाने पर प्रिये , आते पालनहार।
मीठे बच्चे कह सदा, करें निछावर प्यार।।
दोहा【26】
कहते बच्चो साथ में, रक्खो मेरी याद।
पाओगे सौगात सब , छोड़ो बस अवसाद।।
दोहा【27】
चाँद स्वरूपी ताज बन, रखते मेरा ध्यान।
संग संग रहते प्रभू, करते हैं कल्याण।।
दोहा【28】
आओ शिव के धाम तुम, पालो थोड़ा ज्ञान।
माटी का यह तन सुनो, पल भर का महमान।

परमपिता परमात्मा कौन है..?, क्या है...?, क्या करता है..?, उसका कैसा स्वरूप है...? देखिए कुछ दोहों के माध्यम से....!

परमात्मा का स्वरुप
दोहा【29】
परमपिता परमात्मा, शिव है जिनका नाम।
सिफ़र रूप में वो सदा, रहते परम् धाम।।
दोहा【30】
ज्योतिर्लिंग के रूप में, करते छाया धूप।
परमपिता परमात्मा, हैं शिवलिंग का रूप।।
दोहा【31】
जिनकी रहमत से चले, ये नश्वर संसार।
परमपिता परमात्मा, हैं जग के आधार।।
दोहा【32】
तीन कर्म हैं ईश के , रचना व विद्ध्वंश।
करें पालना विश्व की , जोति स्वरूपा अंश।।
दोहा【33】
लालिमा ले भोर की, बन जाते करतार।।
परमपिता परमात्मा, भरते सब भंडार।
दोहा【34】
शून्य में रहकर सदा, रोशन करते धाम।
परमपिता परमात्मा , के हैं अदभुत काम।।
दोहा【35】
रोशन करते धाम शिव ,चुन लेते सब शूल।
हम सब उनकी आत्मा , नन्हें नन्हें फूल।
दोहा【36】
चलो उड़ाने भर चलें, मधुवन के हम हंस।
परमपिता परमात्मा, शिव का है ये वंश ।।
दोहा【37】
सब कुछ है झूठा यहाँ, नश्वर है यह देह।
परमपिता परमात्मा, का है सच्चा नेह।।
दोहा【38】
खुद को पढ़ तू बावरे, भटकै क्यूँ दिन रात।।
परमपिता परमात्मा, ही बस तेरा तात।।

सतगुरु के वचन
दोहा【39】
खोजा अपने आप मे, लेगा मुझको पाय।
परमपिता परमात्मा, कहते सतगुरु आय।।
दोहा【40】
पूर्ण समर्पण कर मुझे, पाले सच्चा ज्ञान।
पायेगा संसार में , पल-पल तू सम्मान।।
दोहा【41】
हाथ थाम ले आ मिरा, छोड़ दे सब जंजाल।
हर संकट से में सदा, लूँगा तुझे निकाल।।
दोहा【42】
बस तू मुझको याद कर, ले बस मेरा नाम।
साथ रहूँगा हर घड़ी, संग करूँगा काम।।
दोहा【43】
चलते फिरते हर समय, करना मुझसे बात।
परमपिता परमात्मा, हूँ मैं तेरा तात।।
दोहा【44】
ढाई आखर प्रेम का, है जीवन आधार l
ख़ुद को जब से है पढ़ा, पाया सब संसार ll
दोहा【45】
मन मंदिर में बैठ कर, गा लो ख़ुद का राग।
ज्योति जलेगी ज्ञान की, खिल जाएंगे बाग।।
दोहा【46】
पहले ख़ुद अच्छे बनो, करो मान सम्मान।
आने वाली नस्ल को, दो तुम अच्छा ज्ञान।।
दोहा【47】
भारत की सब नारियाँ, हैं देवी का रूप।
कोई लक्ष्मी-शारदा, कोई शक्ति स्वरूप।।
दोहा【48】
मर्दों से जो कम नहीं, है दुर्गा अवतार।
हर तूफ़ां को मोड़ दे, कर दे बेड़ा पार।।


         नQ     । . आ© डॉ० प्रतिभा 'माही'

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