वीर सिपाही जब सरहद पर युद्ध मे जाने के लिए तैयार होता है तो अपने परिवार से कैसे विदा लेता है और क्या कहता है? 1)- पत्नी से विदाई लेता है और उसे गले लगाकर क्या कहता है देखिए:... आपका भी दिल भर आएगा.... चला हुन आज सरहद पर, कफ़न सिर पर सजाकर मैं तेरे गजरे की ख़ुशबू को, चला मन में छुपाकर में चुरा बहना की चंचलता , मुहब्बत थाम अपनों की अजी नन्हीं सी चिड़िया को, चला दिल मे बसाकर मैं 2)-बहन से गले लिपट जाती है और कहती है भाई आज तू मेरा भी प्रण सुनले---- सजाकर शस्त्र काँधे पर, चलूँगी साथ मैं वीरा समझले आज सीमा पर, लड़ूँगी साथ मैं वीरा उठा आक्रोश है दिल में, रगों में रक्त फौजी है कदम पद चिन्ह पर तेरे, धरूँगी साथ मैं वीरा विश्वास दिलाने को फिर कहती है.... उठाकर रुख से हर पर्दा, नज़ारे सब दिखा दूँगी समझना मत मुझे अबला, कयामत मैं बुला दूँगी भले कमज़ोर हूँ तन से, मगर फौलाद सी हूँ मैं दरिन्दों की हुकूमत को, मैं माटी में मिला दूँगी 3) भाई अपनी जिद्दी बहन को समझाता है क्या कहता है देखें......! समझता हूँ तेरी हालत,...