मेरे इश्क में....हवन न हो जाए तो कहना....! नज़्म (71)


हुस्न की....
तितलियों का पुजारी....
तू कभी ....
रूह में उतर कर तो देख....!
तू मेरे इश्क़ में....
हवन न हो जाए तो कहना....!

तू कभी....  
फुर्सत में मुझे पढ़ कर तो देख....!
इन पन्नों में....
दफन न हो जाए तो कहना....
तू मेरे इश्क़ में....
हवन न हो जाए तो कहना....!

तू कभी...
इस नूर - ए - इश्क़ का ...
एहसास पाकर तो देख....!
गर मिलते....
पवन न हो जाए तो कहना...!
तू मेरे इश्क़ में....
हवन न हो जाए तो कहना....!

तू कभी 
छेड़ इन सांसों की सरगम....!
रूह तेरी...
मगन न हो जाए तो कहना...!
तू मेरे इश्क़ में....
हवन न हो जाए तो कहना....!

                    © डॉ० प्रतिभा 'माही'

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