सखी री मति रोकै तू गैल (77)

कहूं पोय लहगा, कहूं पोय चोली
लाज शर्म सब,  छोड़के मैं तो , 
बस कान्हा की होली


सखी री... मति रोके तू गेल....
मैं तो वृंदावन जाऊं री...!2
मैं तो वृंदावन जाऊं री...!
मैं तो वृंदावन जाऊं री...!
सखी री... मति रोकै तू गेल.....
मैं तो वृंदावन जाऊं री...!
जौ रोकै तू गेल हमारी...
प्राण छोड़ उड़ जाऊंगी....!
सखी री... मति रोकै तू गेल.....
मैं तो वृंदावन जाऊं री...!
वृंदावन में रास रचावें... 
राधा संग मुरारी...!
बलि बलि जाऊं देखि देखि  मैं....
अपनों तन मन हारी....!
डोल रही हूं बावरिया सी..
प्राण छोड़ उड़ जाऊंगी....!

सखी री... मति रोकै तू गेल.....
मैं तो वृंदावन जाऊं री...!

© Dr Pratibha 'Mahi'

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