तेरे इश्क में ...उलझी रही कुछ अनकहे सवालों में...(91)


                      अहसास-ए-दिल... 

क्या बताऊं...?
अहसास-ए-दिल... 
गुम रही सारी रात.... 
बस तेरे ही खयालों में...!!
उलझा रहा जहन....
कुछ अनकहे सवालों में....!!!


एक आवाज़ आई...
रूह ने कहा...!
तू लौट आया है.....
अंधेरों की.... 
घनी वादियों को चीर कर...!!
हाथों में लिए... 
मुहब्बत का चिराग...!!!
कर दिया है तेरे स्पर्श ने....
तरो ताज़ा मेरे रोम रोम को....!
हो गया है रोशन ....
मेरे दिल का घरौंदा.....!!!
तेरी महकती रूह ने ....
बना लिया  है अपना....
और ...
समा लिया है....
अपने आगोश में...!!
सुन...!
क्या बताऊं...?
अहसास-ए-दिल... 
गुम रही सारी रात.... 
बस तेरे ही खयालों में...!!
उलझा रहा जहन....
कुछ अनकहे सवालों में....!!!


उठते - बैठते... 
सोते - जागते बस.... 
तू ही विचरता रहता है...
मेरे इर्द-गिर्द....!
कभी पवन के झोके सा...
चला आता है तू.....!
छू लेता है ...
लहराकर केशों को....!!
मेरा मन.....
दौड़ जाती है तभी..…
इन लबों पर...
एक कत्ल कर देने वाली.... 
मनमोहक...
कातिल मुस्कान....!!
लोग हो जाते है पागल....
नज़र आती हूं उन्हें...
चाँद सी ....
सितारों के बीच में...!!!
और...!
क्या बताऊं...?
अहसास-ए-दिल... 
गुम रही सारी रात.... 
बस तेरे ही खयालों में...!!
उलझा रहा जहन....
कुछ अनकहे सवालों में....!!!


कभी... 
छेड़ जाता है तू...!
मेरे दिल रूपी सितार को...!
गुनगुनाने लगती है धड़कन...
बस तेरा ही राग....!!
करने लगता है नर्तन....
मेरे बदन का रूआं रूआं....!!!
हो जाती हूं मैं...
विदेह सी...!
तेरे इश्क़ में....!!!
यकायक....
खींच ले जाती है.....
तेरी सुगंध....
मुझे तेरे पास....!!!
और...!
हो जाती हूं विलीन ....
तेरे अस्तित्व में...!!!
"माही".....!
क्या बताऊं...?
अहसास-ए-दिल... 
गुम रही सारी रात.... 
बस तेरे ही खयालों में...!!
उलझा रहा जहन....
कुछ अनकहे सवालों में....!!!


© Dr Pratibha 'Mahi' (29/2/2024) पंचकूला 

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