वो तो माँ है मेरी

वो तो माँ है मेरी 


वो रुलाती भी है, वो हँसाती भी है 
प्यार की थपकियाँ दे, सुलाती भी है
कौन है कौन है, कौन है कौन है...2
वो तो माँ है मेरी...4

        बात करता हूँ अँखियों हीं अँखियों में जब
        जान लेती व्यथा मेरे हृदय की तब
        बिन कहे ही समझ लेती हर बात को
        सो न जाऊँ मैं तब तक जगे रात को
        चाकरी चाँद सूरज सी पल पल करे
        गंग अमृत की हृदय से झर-झर झरे

थाम उँगली वो अँगना डुलाती भी है
पाँव रख आगे चलना सिखाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है....2
वो तो माँ है मेरी...4

          दूर होकर भी हरदम रहे पास वो
          है ज़मी और है मेरा आकाश वो
          जब कोई चोट आकर लगाता मुझे
          हाथ उसका कवच बन बचाता मुझे
          दर्द अपना छुपा मुस्कुराती रहे
          और होकर मगन गुनगुनाती रहे

ले हिलोरें पवन सी झुलाती भी है
कान्हा कान्हा मुझे कह बुलाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है....2
वो तो माँ है मेरी...4

             उसके आँचल की खुशबू लुभाती मुझे
             दूर कितना रहूँ खींच लाती मुझे
             ईश रब कौन है मैं नही जानता
             मैं तो उसको ही अपना ख़ुदा मानता
             उसके दामन में सुख चैन पाता हूँ मैं
             लौटकर कण्ठ आ जब लगाता हूँ मैं

हर तमन्ना वो पूरी कराती भी है
वो तो मंज़िल का रास्ता दिखाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है...2
वो तो माँ है मेरी...4


आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।
जहाँ भक्त जन राम-राम कह रमे राम में  रहते हैं।।

जहां रूप नन्हें रघुवर का, ह्रदय बीच समा जाये।
जन्म भूमि जो राम लला की, सबके मन को भा जाये।
ठुमुक-ठुमुक कर चलने वाले, हाथ सभी का गहते हैं।
आओ चलें अयोध्या में, जिसे राम की नगरी कहते हैं।

****************
लिखी अट्ठावानी रघुवर रामा  ....!
राम राम जी
जानो कैसे रघुवर रामा ....!!
राम राम जी

मन में रामा तन में रामा ....!
राम राम जी
मेरी तो रग-रग में रामा....!!
राम राम जी

तुझमें रामा मुझमें रामा ....!
राम राम जी
जग के तो कण-कण में रामा ....!!
राम राम जी

कृपा अपनी करते आना....!
राम राम जी
हर क्षण हर पल धरते ध्याना....!!
राम राम जी

करते सबरे पूरण कामा...!
राम राम जी
ऐसे मेरे रघुवर रामा...!!
राम राम जी

मन में रामा तन में रामा.....!
राम राम जी
मेरी तो रग-रग में रामा...!!
राम राम जी



खुशियों से आ दामन भर कर...! 
राम राम जी
झूम उठे आ ललना बनकर...!!
राम राम जी

पैरों में पैजनियाँ बाजी...!
राम राम जी
गल मुतियन की माला साजी...!!
राम राम जी

घौटुन-घौटुन अंगना डोलें...!
राम राम जी
मीठी मधुर बोलियाँ बोलें...!!
राम राम जी

ठुमुक-ठुमुक कर चलते फिरते...!
राम राम जी
आँखे मलते मीं-मीं करते....!!
राम राम जी

बन जाते बालक श्रीरामा...!
राम राम जी
ऐसे मेरे रघुवर रामा....!!
राम राम जी


मन में रामा तन में रामा.....!
राम राम जी
मेरी तो रग-रग में रामा..!!
राम राम जी



राम भरत और लखन शत्रुघ्न....!
राम राम जी
चारों हैं दशरथ सुत नन्दन
राम राम जी

धनुष वाण काँधे पर साजे....!
राम राम जी
गुरु वशिष्ठ से शिक्षा पाते
राम राम जी

शिक्षा पा जब लौटे रामा....!
राम राम जी
आ पहुँचे निज अपने धामा
राम राम जी

विश्वामित्र गुरु तब आये....!
राम राम जी
एक लालसा मन में लाये
राम राम जी


संग चले रक्षा प्रण थामा....!
राम राम जी
ऐसे मेरे रघुवर रामा....!
राम राम जी

मन में रामा तन में रामा.....!
राम राम जी
मेरी तो रग-रग में रामा...!!
राम राम जी


मात पितू से आज्ञा लीनी....!
राम राम जी
आन प्रतिज्ञा  पूरी कीनी
राम राम जी


गुरुवर से आ बोले रामा....!
राम राम जी
गुरुवर आप करें विश्रामा
राम राम जी


रघुवर ने फिर चरण दबाये....!
राम राम जी
मुनिवर ने कुछ वचन सुनाये
राम राम जी


जनक सुता सीता अति प्यारी ....!
राम राम जी
ली है एक प्रतिज्ञा भारी
राम राम जी


समझ गये सब अंतर्ध्याना....!
राम राम जी
ऐसे मेरे रघुवर रामा....!
राम राम जी


मन में राम तन में रामा.....!
राम राम जी
मेरी तो रग-रग में रामा..!!
राम राम जी



शिव का था बस धनुष उठाना....!
राम राम जी
जनक सुता को वर ले आना
राम राम जी


हुआ स्वयंवर सुन अति भारी....!
राम राम जी
जोर लगावें बारी-बारी
राम राम जी


लेकिन हिला न तिलभर धन्वा....!
राम राम जी
देख रहा था पूरा कुनवा....!
राम राम जी


धीरज छूट गया जब पितु का....!
राम राम जी
धनु तोड़ा रघुवर ने शिव का....!
राम राम जी

सीता को वर लाए रामा...!!
राम राम जी
ऐसे मेरे रघुवर रामा....!
राम राम जी

मन में राम तन में रामा.....!
राम राम जी
मेरी तो रग-रग में रामा..!!
राम राम जी

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