उजालों की बात...!

उजालों की बात...!
"कुछ अंधेरों के साथ रहती हूँ
यूँ उजालों की बात कहती हूँ 
बनके माही में ज्वार भाटा भी  
इस समंदर के साथ बहती हूँ" 
©डॉ० प्रतिभा 'माही'

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