जय भारत मां भारती
घटा सी मस्त मौला हूँ , पवन के साथ बहती हूँ । कलम की इक सिपाही हूँ , वतन के गीत कहती हूँ।। बरसती सिंहनी बनकर, भरूँ हुंकार शब्दों से । मैं भारत माँ की हूँ रक्षक, तिरंगा हाथ गहती हूँ ।। पाँच कुला की धरती से में, शीश नवाने आई हूँ । धर्म यज्ञ की आहुति का बिगुल बजाने आई हूँ ।। देश की खातिर खून न उबले , खून नहीं वो पानी हैं । बात यही बस तुम लोगों को , आज बताने आई हूँ।। चण्डी दुर्गा काली बनकर , सबको सबक सिखाना है। गद्दारों की गद्दारी को आग लगाने आई हूँ ।। भारत मां की बेटी हूँ, हैं शस्त्रों से श्रृंगार करूं। बरछी ढाल कृपाण कटारी आज चलाने आई हूं।। अर्जुन की 'माही' बनकर मैं गीता पुनः पढ़ा दूंगी। धर्म युद्ध में अधर्मियों के होश उड़ाने आई हूं।। देश की खातिर रक्त उबलना, सुन लो बहुत जरूरी है ।। अर्जुन बनकर युद्ध में लड़ना, सुन लो बहुत जरूरी है । कट्टरपंथी हिंदू बनकर अपना धर्म बचाओ अब। हर बाजी पर उत्तर रखना, सुन लो बहुत जरूरी है । निकल पड़ो अब पहन के भगवा , अलख जगाओ घर घर में। हर दिल से हुंकार निकलना, सुन लो बहुत जरूरी है ।। चील व कऊए गिद्ध भे...