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Showing posts from 2024

पंचकूला की धरती से..!!!

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अर्जुन बनकर युद्ध में लड़ना,                      सुन लो बहुत जरूरी है। हर दिल से हुंकार निकलना,                      सुन लो बहुत जरूरी है।। चील व कऊए गिद्ध भेड़िए,                       देखो बैठे ताक रहे हैं। रणभूमि में बिगुल का बजना,                      सुन लो बहुत जरूरी है।।                                  गीत  पाँच  कुला की धरती से में, शीश नवाने आई हूँ । धर्म यज्ञ की आहुति का बिगुल बजाने आई हूँ ।। देश की खातिर खून न उबले , खून नहीं वो पानी हैं । रण चंडी का रूप धरे वो, नारी हिन्दुस्तानी है। बात यही बस तुम लोगों को , आज बताने आई हूँ।। पाँच  कुला की धरती से में, शीश नवाने आई हूँ । धर्म यज्ञ की आहुति का बिगुल बजाने आई हूँ ।। चण्डी दुर्गा काल...

अर्जुन बनकर युद्ध में लड़ना, सुन लो बहुत जरूरी है ।

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अर्जुन बनकर युद्ध में लड़ना,  सुन लो बहुत जरूरी है । हर दिल से हुंकार निकलना,  सुन लो बहुत जरूरी है ।। कट्टरपंथी हिंदू बनकर,  अपना धर्म बचाओ तुम। हर बाजी पर उत्तर रखना,  सुन लो बहुत जरूरी है ।। पहनके भगवा  निकल पड़ो तुम,  अलख जगाओ घर घर में।  देश की खातिर रक्त उबलना,  सुन लो बहुत जरूरी है ।। चील व कऊए गिद्ध भेड़िए,  देखो बैठे ताक रहे। रण भूमि में बिगुल का बजना,  सुन लो बहुत जरूरी है ।। चुन चुन कर अब दफन करो,  जो सौदा करते अपनों का। उन वहशी को आज पकड़ना,  सुन लो बहुत जरूरी है ।। आगे आकर कदम बढ़ाओ,  शस्त्र उठाओ हाथों में । हर बेटी का दुर्गा बनना ,  सुन लो बहुत जरूरी है।।

मैं गीत हिन्द के गाती हूं...

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हिंद राष्ट्र पर लिखती हूं,  उसके ही गीत सुनाती हूं। हिन्दू है आधार जगत का,  सबको यह बतलाती हूं मैं गीत हिन्द के गाती हूं....!2 हम सबका प्यार सनातन है। जग का आधार सनातन है।। है वेदों का ज्ञान जहाँ, भागवत का है गान  जहाँ , गीता रामायण का होता घर -घर में सम्मान  जहाँ उस मातृभूमि को नमन मेरा जहाँ  कण - कण यार सनातन है। हम सबका प्यार सनातन है। जग का आधार सनातन है।। धरती अम्बर औ नदियों को, पशु पक्षी जड़ी बूटियों को, पूजा जाता है श्रद्धा से, पूर्वज को ऋषि मुनियों को, है भक्ति भाव सबके मन में वो सूरज -चाँद सनातन हैं हम सबका प्यार सनातन है। जग का आधार सनातन है।। उठो सनातनी शपथ उठाओ, विश्व विजय परिवर्तन की। घर घर जाकर अलख जगाओ, विश्व विजय परिवर्तन की।। भारत मां की सेवा में जुट, अपना पूर्ण समर्थन दो। गर हिंदू हो विपुल बजाओ, विश्व विजय परिवर्तन की।। ********** करे राज हिंदुत्व हमारा, वक्त बदलना चाहिए। अगर लाल भारत माँ के हो, रक्त उबलना चाहिए।। विजय विश्व की शपत उठाओ, नाज़ करे  भारत भूमि चले विश्व पर सत्ता अपनी, तख्त पलटना चाहिए।। ********** © Dr Pratibha'Ma...

भगवा है पहचान हमारी (70) हिन्दुत्व राष्ट्र

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हिंद राष्ट्र पर लिखती हूं, उसके ही गीत सुनाती हूं। हिन्द है आधार जगत का, सबको यह बतलाती हूं मैं गीत हिन्द के गाती हूं....!2 ****** मेरा मान तिरंगा है.. मेरी शान तिरंगा है... भारत मां की पहचान तिरंगा है....! तिरंगा है है है..तिरंगा है.... तिरंगा है है है.. तिरंगा है...  तिरंगा है.... तिरंगा है.... तिरंगा है.....तिरंगा है...! केसरिया बहता रग - रग में,  शक्ति बन भिड़ जाता है। सफेद रंग है सच्चाई का,  शांति पाठ पढ़ाता है।। हरा रंग है हरियाली का,  खेतों की अंगड़ाई है।  और चक्र जो चलता प्रतिफल,  उसमें रहा दिखाई है।।  लहर लहर लहराए घर-घर,  गीत सुहाने गाता है। वीर शहीदों की कुर्बानी  हर पल याद दिलाता है।। वो आन तिरंगा है.... सम्मान तिरंगा है.... भारत मां की पहचान तिरंगा है....! तिरंगा है है है..तिरंगा है.... तिरंगा है है है.. तिरंगा है...  तिरंगा है.... तिरंगा है.... तिरंगा है.....तिरंगा है...!                 करे राज हिंदुत्व हमारा,                  ...

पुलवामा

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शत शत नमन शहीदों को करता भारत शीश झुकाकर , शत शत नमन शहीदों को अश्क़ स्वरूपी सुमन चढ़ाकर, शत शत नमन शहीदों को पुलवामा की इस घटना ने, दिल को चकना चूर किया भारत के हर शख़्स को इसने, उठने को मजबूर किया बच्चे बूढ़े नर नारी सब , उतर पड़े हैं सड़कों पर मोदी जी अब कदम उठाओ , लफ़्ज़ यही हैं होठों पर माता के हृदय से चिपके, देखो लाल सिसकते है बहना के पथराये नैना, वीर का रस्ता तकते हैं वीर शहीदों की रूह पूछे , कुछ तो बोलो मोदी जी उबल रहा है लहू हमारा , मुख तो खोलो मोदी जी आतंकी का खौफ बताओं, कब तक राज करेगा अब घाव लगे हैं जो ह्रदय पर, उनको कौन भरेगा अब बतलाओ क्या उत्तर दे हम, अपने वीर शहीदों को करता भारत शीश झुकाकर, शत शत नमन शहीदों को शस्त्र सजाकर बैठे हैं बस, एक इशारा दे दो तुम आज मिला देंगे माटी में, बैठ नज़ारा देखो तुम अब सहन नहीं होती हमसे, ये पाकिस्तान की गद्दारी पाल रहा जो आतंकी को, करता छुपकर गोलाबारी आदेश तुम्हारा मिल जाये, तो डंका आज बजा देंगे कमजोर न समझें भारत को, ये दुनिया को समझा देंगे शीश हिलाकर मोदी जी ने, सेना को आदेश दिया ब्रह्ममहूर्त में पवनदूत को, बालकोट में भेज दिया बोले ज...

कविता: विभाजन विभीषिका

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मैं वीरों का मान लेती हूं  शहीदों का सम्मान लिखती हूं  लिखती हूं आप सबके दिलों की हुंकार  और देश का उत्थान लिखती हूं दोहा हुआ विभाजन देश का, मच गया हाहाकार। गूंज रही थी हर तरफ़, बस अब चीख पुकार दोहा थी सरहद की सर ज़मी , लतपथ खूं से लाल। लाखों परिजन देश के , गए काल के गाल।। कविता: विभीषिका आज का दिन था विभीषिका का, आज के दिन थे सब लाचार। आज के दिन भागे थे फिरंगी, देश का करके बंटाधार।।   आग लगाई अंग्रेजों ने, अलग अलग फिर छांट दिया। जाते जाते भारत मां को, दो हिस्सों में बांट  दिया।। धर्मों में फूट पड़ी ऐसी, छिड़ गई लड़ाई बढ़ चढ़कर ।। जो आग लगाई गोरो ने , पनपी वो हिंसा बन बनकर। काट रहे थे, इक दूजे को, तब नदी खून की बहती थी। अपने बच्चों की पीड़ा को, तब भारत माता सहती थी।। जो बिछड़ गए थे अपनों से, अपनों को जलते देखा था। लाशों पर लाशें पटती थीं, लाशों को चलते देखा था।। है शब्द नहीं दिल में कोई, उनकी पीड़ा का वर्णन हो। बस दुआ यही करती माही, उन सब रूहों का तर्पण हो।। © डॉ० प्रतिभा माही कातिलों के शहर ढूंढ़ते हो अमन  राह वीरान हैं लुट रहे हैं चमन  कर...

मैं कवि हूँ और हाजिर हूँ ,

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मैं कवि हूँ और हाजिर हूँ ,  हंसने हंसाने को और गुदगुदाने  को, थाम कर बैठना बाबा का हाथ, कहीं माया रुपी रावण, उठा न ले जाए  तुम्हें अपना बनाने को..! ******** मैं   बाबा की बच्ची बचाने को आई तुम्हें आज शिव से मिलाने को आई  मैं हंसने को आई हंसाने को आई  तुम्हारी ये महफि़ल, सजाने को आई मैं तुमको तुम्ही से मिलाने को आई  तुम्हें बात दिल की बताने को आई  हकीक़त जहां की दिखाने को आई मैं नज़रों से पर्दा हटाने को आई  तुम्हारे सभी ग़म चुराने को आई  सुनो प्यार अपना लूटाने को आई मैं नफ़रत दिलों से मिटाने को आई तुम्हें नींद से अब, जगाने को आई  बुलाया है शिव ने बुलाने को आई  वतन का में दर्शन कराने को आई  मैं बाबा की मुरली सुनाने को आई तुम्हें दिव्य दृष्टी दिलाने को आई  मैं सतयुग का रास्ता दिखाने को आई  दिलों में दिया इक जलाने को आई  ************* आज समय है संगम युग का , सतयुग में ले जाएगा।  स्वर्ग के सुंदर महलों का ये राजा हमें बनाएगा।।  स्वर्ग नरक है इसी धरा पर, परमपिता ये कहते हैं। पहले भी स्वर्ण...

वो जाने या मैं जानूँ ..!

मेरा उसका, क्या रिश्ता है..? वो जाने या मैं जानूँ  ..! ना जाने ये दुनिया सारी...  ना जान ये लोग...! रूह ने उसको, जान लिया है ... लगा इश्क का रोग...!! मैं जानूँ या वो जाने...!! वो जाने या मैं जानूँ  ..!!! मेरा उसका, क्या रिश्ता है..? वो जाने या मैं जानूँ  ..! आज समय है संगम युग का , सतयुग में ले जाएगा   स्वर्ग के सुंदर महलों का ये राजा हमें बनाएगा   स्वर्ग नरक है इसी धरा पर, परमपिता ये कहते हैं  पहले भी स्वर्णिम था भारत, फिर स्वर्णिम बन जाएगा मैं खुदा की गोद में रहकर पली खिल गयी सुर साज़ सरगम की कली थाम उंगली वो मेरी चलता रहा छंद मुक्तक गीत ग़ज़लों में ढली Geet   जिसका नहीं है कोई , उसका तो बस खुदा है  संसार बस ये सारा, विश्वास पर खुदा है तुम लाख चोरी कर लो, लाखों गिरा लो पर्दे  क्या आईने में कोई, चेहरा कभी छुपा है  जिसका नहीं है कोई , उसका तो बस खुदा है  भीड़ में भी मैं अकेली ही रही  जिंदगी क्यों कर पहेली ही रही  वो तो ऊंचे महल से उठते रहे मैं तो बस खंडहर हवेली ही रही रिश्ते तो सब थे अपने, पर हो गए पराए।  ...

तेरे इश्क में ...उलझी रही कुछ अनकहे सवालों में...(91)

                      अहसास-ए-दिल...  क्या बताऊं...? अहसास-ए-दिल...  गुम रही सारी रात....  बस तेरे ही खयालों में...!! उलझा रहा जहन.... कुछ अनकहे सवालों में....!!! एक आवाज़ आई... रूह ने कहा...! तू लौट आया है..... अंधेरों की....  घनी वादियों को चीर कर...!! हाथों में लिए...  मुहब्बत का चिराग...!!! कर दिया है तेरे स्पर्श ने.... तरो ताज़ा मेरे रोम रोम को....! हो गया है रोशन .... मेरे दिल का घरौंदा.....!!! तेरी महकती रूह ने .... बना लिया  है अपना.... और ... समा लिया है.... अपने आगोश में...!! सुन...! क्या बताऊं...? अहसास-ए-दिल...  गुम रही सारी रात....  बस तेरे ही खयालों में...!! उलझा रहा जहन.... कुछ अनकहे सवालों में....!!! उठते - बैठते...  सोते - जागते बस....  तू ही विचरता रहता है... मेरे इर्द-गिर्द....! कभी पवन के झोके सा... चला आता है तू.....! छू लेता है ... लहराकर केशों को....!! मेरा मन..... दौड़ जाती है तभी..… इन लबों पर... एक कत्ल कर देने वाली....  मनमोहक... कातिल मुस्कान....!! लो...