नव संवत का अभिनन्दन है 【40】

झूम-झूम, झन-नन, पायल बाजे
स्वागत के लिए खड़े हुये हैं
पलक फांवड़े बिछे हुये हैं

नन्हीं नन्हीं किरणें आयीं
देख उन्हें कलियाँ मुस्कायीं
नव अंकुर नव पल्लव छाये
बेला नव संगीत सुनाये
झूम-झूम, झन-नन, पायल बाजे

 ब्रह्म महूरत में हम आये
कर में लोटा जल भर  लाये
सूर्य देव को अर्क लगायें
आओ मिलकर मंगल गायें
झूम-झूम, झन-नन, पायल बाजे

नव ज्योति नव दीप जलाकर
करें आरता हाथ उठाकर
नव संवत का अभिनन्दन है
महक उठा सारा उपवन है
झूम-झूम, झन-नन, पायल बाजे

चिड़ियाँ चहक उठीं वृक्षों पर
बहने लगी हवा अति सुंदर
नव संवत का स्वागत कर लो
दे दे मुबारक झोली भर लो
झूम-झूम, झन-नन, पायल बाजे

© डॉ० प्रतिभा  'माही'

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पुण्यश्लोक मातोश्रीअहिल्या बाईं होल्कर

खट्टा-मीठा इश्क़...! [ COMING SOON MY NEW BOOK ] प्यार भरी नज़्में (मुक्त छंद काव्य)

भगवा है पहचान हमारी (70) हिन्दुत्व राष्ट्र