बीत गया जो वक्त तुम्हारा, लौट न वापस आएगा 【42】

 
इस धरा का इस धरा पर सब धरा रह जाएगा 
आओ उसको याद करें जो, पार हमें ले जाएगा
बीत गया जो वक्त तुम्हारा, लौट न वापस आएगा
इस धरा का इस धरा पर....।।


भूल कर बैठा है उसको, जिसका प्यारे अंश तू 
उससे ही अस्तित्व तेरा , है उसी का वंश तू 
थाम ले उंगली उसी की, ढाल वह बन जाएगा 
अब तो उसको याद कर ले वरना फिर पछताएगा 
इस धरा का इस धरा पर ....।।

स्वप्न सा संसार है यह , कुछ पलों का आसरा 
हैं मुसाफ़िर हम यहाँ पर है अज़ब ही माज़रा 
खूबसूरत हर नजारा एक दिवस ढह जाएगा 
अब तो उसको याद कर ले वरना फिर पछताएगा
 इस धरा का इस तरह ......।।

© डॉ० प्रतिभा 'माही'

Comments

Popular posts from this blog

पुण्यश्लोक मातोश्रीअहिल्या बाईं होल्कर

खट्टा-मीठा इश्क़...! [ COMING SOON MY NEW BOOK ] प्यार भरी नज़्में (मुक्त छंद काव्य)

भगवा है पहचान हमारी (70) हिन्दुत्व राष्ट्र